ब्यूरो संवाददाता
इटावा: विश्व कछुआ दिवस 2022 के अवसर पर का सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (स्कॉन) एवं सामाजिक वानिकी प्रभाग रेंज चकरनगर इटावा के संयुक्त तत्वाधान में रेंज चकरनगर परिसर में जागरूकता गोष्ठी आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्कॉन सचिव वन्यजीव विशेषज्ञ संजीव चौहान ने बताया कि कछुए नदियों के पानी को साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। प्राया कछुए दो प्रकार के होते है। कठोर कवच कछुए एवम मुलायम कवच। कछुए जहाँ एक ओर सड़ी-गली लाशो को खाकर खत्म करते है। वही दूसरी ओर कठोर कवच वाले कछुए पानी मे पैदा होने वाले हरित शैवाल को खाकर नदियों के जल प्रदूषण को कम कर देते है।
वन क्षेत्राधिकारी चकरनगर शिव कुमार ने कहा कि विश्व कछुआ दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों का ध्यान कछुओं की तरफ आकर्षित करने और उन्हें बचाने के लिए किए जाने वाले मानवीय प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। वन दरोगा संदीप कुमार ने कहा कि कछुओं की प्रजाति लगभग 200 मिलियन वर्ष पूर्व से पृथ्वी पर पाई जाती है। इन्हें विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों में से एक माना जाता है। आज कछुआ धीरे–धीरे विलुप्त होने की कगार पर है, यदि उनके प्रति लोगों में जागरूकता नहीं फैलाई गई तो यह प्रजातियां पूरी तरह से खत्म हो सकती हैं। वन दरोगा विष्णु कांत सिंह ने बताया कि हिंदू धर्म में कछुओं को भगवान विष्णु के बारह अवतारों में से एक कच्छप अवतार के रूप में जाना जाता है इसलिए आज भी अनेकों मंदिरों में कछुओं के विग्रह विराजमान हैं और लोग उनकी पूजा करते हैं। अमरीश कुमार व अवधेश कुमार ने अपने विचार प्रकट किये। कार्यक्रम को सफल बनाने में वन विभाग व स्कॉन के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों का उल्लेखनीय योगदान रहा।
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