आशीष कुमार
इटावा: जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को लेकर बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया जिसमें इस एक्ट की नियमावली के उद्देश्य पर विस्तृत प्रकाश डाला गया। उक्त कार्यक्रम का आयोजन पुलिस लाइन में किया गया।
जिला प्रोबेशन अधिकारी सूरज सिंह के निर्देशन में पहुंचे बाल संरक्षण अधिकारी सोहन गुप्ता ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की कार्यप्रणाली पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देखरेख व संरक्षण वाले बालकों को त्वरित संरक्षण प्रदान करें तथा विधि विरुद्ध कार्य करने वाले बालकों के प्रति पुलिस सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करे। उन्होंने यह भी बताया कि लावारिस मिले शून्य से दो वर्ष तक के बच्चों को 60 दिन पश्चात तथा 2 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को 120 दिन के पश्चात स्वतंत्र घोषित कर दत्तक ग्रहण की कार्रवाई शुरू करा दी जाती है। उन्होंने पुलिस बाल कल्याण अधिकारियों को ऐसे लावारिश बच्चों के मिलने पर प्रारूप 17 भरने तथा बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने की प्रक्रिया भी समझाई। उन्होंने यह भी बताया कि लावारिस बच्चों के मिलने पर बाल कल्याण समिति को सूचित करते हुए बच्चा स्वस्थ है या नहीं इसके लिए मेडिकल अवश्य कराया जाए। अपराध में लिप्त बच्चों को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश करने तथा निर्धारित प्रारूप भरकर जमा करने की प्रक्रिया भी समझाई। उन्होंने यह भी बताया कि 3 महीने के अंदर चालान प्रस्तुत करना भी अनिवार्य होता है। उनके साथ बाल संरक्षण विशेषज्ञ के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम कुमार शाक्य मौजूद रहे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में एएचटीयू प्रभारी वीरेंद्र बहादुर यादव, इंस्पेक्टर लखन सिंह, एसआई राम औतार सिंह, नियामत उल्ला, सत्य प्रकाश, राजेंद्र सिंह, उमेश कुमार, जसवंत सिंह, संजय यादव, प्रशांत कुमार, जयप्रकाश, अरविंद यादव, उदय भान सिंह एवं महिला कांस्टेबल पूजा यादव, अंजलि, कुसुमा देवी, कनिका चौधरी, पूजा कुमारी, शिवानी पांडेय, रूपलता, अनीता वर्मा आदि पुलिसकर्मी जनपद के विभिन्न थानों से शामिल रहे।
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