संवाददाता: दिलीप कुमार
इटावा/चकरनगर: जालौन, औरैया, इटावा और भिन्ड जनपद मुख्यालयों से समान दूरी पर पंचनदा संगम है। जो कि विश्व का सबसे अनोखा स्थल माना जाता है। जहां चंबल, यमुना, सिंध, पहुंज और क्वारी नदियों का महासंगम होता है। चंबल अंचल के बीहड़ों में आध्यात्मिक और पर्यटन के नजरिये से यह अद्भुत स्थल है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की 2,100 वर्ग मील दूरी तय करके राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य यहां विराम पाता है। इससे यहां चांदी की तरह चमकते विशाल रेतीले मैदान दिखते हैं। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में तमाम जलचरों और नभचरों का ठिकाना होने से रेत खनन पर प्रतिबंध है।
ऊंट उत्सव का भी ले सकेंगे लुत्फ
पांच नदियों के संगम पर चांदी की तरह चमकते विशाल रेतीले मैदान गोवा की खूबसूरती को मात देते हैं। चंबल अंचल में बड़े पैमाने पर रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट पाले जाते थे लेकिन अब ऊंट पालको की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। एक दशक से अधिक समय से चंबल अंचल की बेहतरी के लिए कार्य करने वाले चंबल विद्यापीठ के संस्थापक डॉ. शाह आलम राना कहते हैं कि बीहड़वासियों को सामान उठाने के लिए ऊंट एक सहारा रहा है। चंबल नदी के किनारे रहने वाले ऊंट पालकों पर आये दिन भारतीय वन अधिनियम और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज होती रहती है। इसे ऊंटों की तादाद में भारी गिरावट देखी जा रही है। ऊंट पालकों की भी आजीविका का सवाल लगातार पीछा करता रहा है। अगर चंबल में ऊंटों के मार्फत पर्यटन के रास्ते खुलते हैं तो ऊंटों की तादाद में और इजाफा हो सकेगा। तीन दिवसीय पंचनद कैम्पिंग फेस्टिवल में सैलानी ऊंट उत्सव का आनंद ले सकेंगे। सजे धजे ऊंट की सवारी फोटोग्राफी के शौकीने के लिए जहां चार चांद लगाएगी वहीं पलायन की मार से जूझ रहे बीहड़वासियों के लिए रोजगार के अवसर भी मुहैया कराएगी। चंबल में पर्यटन को बढ़ाने के मकसद से इस तीन दिवसीय सामाजिक-सांस्कृतिक आयोजन में सैलानी अपनी रूचि के अनुसार हिस्सेदारी कर सकेंगे। दरअसल दस्यु दलों के सफाए के बाद सैलानी यहां बिना रोक-टोक के अब पहुंच सकेंगे।
अब डाकू दर्शन नहीं चंबल की खूबसूरती और विकास की बातें
आजादी से पहले और आजादी के बाद सरकारों की बेरूखी से जो ब्रांडिंग पंचनदा की होनी चाहिए थी वो नहीं की गई। लिहाजा पंचनदा का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जितनी लोकप्रियता और ख्याति इस महासंगम मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल सकी। लंबे अरसे से पंचनदा सरकारी अनदेखी के कारण पंचनदा को देश का सबसे बड़ा पर्यटन हब नहीं बन पाया। अब अगर सरकारें नेकनीयती से पंचनदा और इसके आस-पास ठोस रणनीति बनाकर विकास के थमे पहिये को घुमाती हैं तो आने वाले दिनों में पंचनद घाटी विश्व पर्यटन मानचित्र पर चमक सकती है।
पर्यटन विभाग, झूमके और चंबल विद्यापीठ का साझा आयोजन
पांच नदियों के संगम पर तीन दिवसीय ‘पंचनद कैम्पिंग फेस्टिवल’ की तैयारी को लेकर जिला पर्यटन अधिकारी इटावा, जिलाधिकारी औरैया, झूमके और चंबल विद्यापीठ के पदाधिकारियों की बैठक बीते 21 अप्रैल की शाम हो चुकी है। आयोजन को सफल बनाने के लिए अभी से आयोजन समिति से जुड़े लोग अपने हिस्से की तैयारी में लगे हुए हैं।
Comments
Post a Comment