संवाददाता, आशीष कुमार
इटावा/जसवंतनगर: विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा तहसील सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें तंबाकू निषेध की शपथ भी दिलई गई। सभागर में हुए कार्यक्रम का उद्देश्य तंबाकू छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध किया गया है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत नायब तहसीलदार अवनीश सिंह ने की। उन्होंने कहा कि तंबाकू का सेवन हानिकारक होने के साथ जानलेवा भी है। आज की युवा पीढ़ी तंबाकू के खतरों के बारे में जागरूक नहीं है इसी जागरूकता अभियान के तहत 31मई को राष्ट्रीय तंबाकू दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के कारण कैंसर और दूसरी बीमारियों से दम तोड़ देते हैं,उन्होंने मौजूद लोगों को तंबाकू सेवन से दूर रह कर व नशा मुक्त करने की शपथ दिलाई। इस अवसर पर पीएलबी ऋषभ पाठक ने बताया कि तंबाकू के बजाय भोजन संबंधी फसलें उगाने का किसान चयन करके, हम स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे सकते हैं, पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित कर सकते हैं और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।
दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। इस बीच 120 से अधिक देशों में 30 करोड़ हेक्टेयर से अधिक भूमि का उपयोग घातक तंबाकू उगाने के लिए किया जा जाता है, यहां तक कि उन देशों में भी जहां लोग भूखे मर रहे हैं।, तम्बाकू महामारी से लड़ने के लिए डब्ल्यूएचओ कई तरह की पहल कर रहा है। दुनिया भर के लोगों को अपने स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के अधिकार की रक्षा करने के लिए क्या कर सकते हैं, डब्ल्यूएचओ के द्वारा इस बारे में जनता को जागरूकता अभियान के तहत जानकारी दी जाती है।तंबाकू का उपयोग करने से कैंसर, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग और स्ट्रोक सहित कई पुरानी बीमारियों के लिए जिम्मेवार है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह भारत में मृत्यु और बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत देश तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक भी है। देश में विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं।
वहीँ पीएलवी रामसुन्दर ने बताया किहर साल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाता है। डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाना है और यह सुनिश्चित करना कि, दुनिया को तंबाकू मुक्त किस तरह बनाया जाए। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल तंबाकू से होने वाली बीमारियों से करीब 80 लाख लोगों की मौत होती है, फिर भी दुनिया भर में सरकारें तंबाकू उगाने के लिए लाखों खर्च करती हैं।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राज्यों ने 1987 में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाने की बात कही, ताकि तम्बाकू महामारी और इसके कारण होने वाली मृत्यु को रोका जा सके। 1987 में, विश्व स्वास्थ्य सभा ने प्रस्ताव ब्ल्यूएचए 40.38 पारित किया, जिसमें सात अप्रैल 1988 को "विश्व धूम्रपान निषेध दिवस" घोषित किया गया। 1988 में, संकल्प ब्ल्यूएचए 42.19 पारित किया गया था, जिसमें हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।
लालमन बाथम ने बताया कि तंबाकू के पैकेट के ऊपर सावधानी के तौर पर लिखा भी होता है कि तंबाकू खाने से कैंसर होता है। बावजूद इसके हम परवाह न करते हुए सेवन करते जा रहे है और अपने अमूल्य जीवन के खतरे में डाल रहे है। कार्यक्रम के राजेंद्र कुमार,रवि, ब्रजेश,अंजू शास्त्री,नीरज आदि ने पोस्टर एवं स्लोगन के माध्यम से तंबाकू का सेवन न करने का प्रण दिलाया एवं आस-पास के लोगो को भी जागरूक करने के लिए प्रेरित किया।
Comments
Post a Comment