ब्यूरो संवाददाता
इटावा : जैन धर्म का दशलक्षण पर्व के चौथे दिन साधकों ने व्रत करते हुए उत्तम शौच का संकल्प लेकर पालन करते हुये जिनालयों में पूजा अर्चना कर मनाया।
दशलक्षण पर्व त्याग का संदेश देता है : आकाशदीप जैन
विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष आकाशदीप जैन ने बताया कि शुक्रवार को दशलक्षण व्रत का चौथा दिन उत्तम शौच धर्म हमे यही सिखाता है कि शुद्ध मन से जितना मिला है उसी में खुश रहो जिनदेव का हमेशा शुक्रिया मानों और अपनी आत्मा को शुद्ध बनाकर ही परम आनंद एवं मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है जहाँ कौरवो ने संपूर्ण राज्य चाहा लेकिन प्राप्त नही हुआ और पांडवों का पुण्य प्रबल होने से नही चाहते हुए भी सब कुछ प्राप्त होता रहा। भगवान राम जंगल मे भी रहे वहां भी पुन्ययोग से पुण्य के साधन मिलते रहे पर रावण को सोने की लंका में भी प्रतिकूलता बनी रही। उन्होंने बताया पर्युषण पर्व पर दस दिन तक दशलक्षण धर्म का पालन व्रत किया जाता है। क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिचन्य और ब्रह्मचर्य दस धर्म हैं।
जैन धर्मालंबियों में कुछ पूरे दस दिन निर्जला तो कुछ एक समय खाना खाकर और पानी पीकर व्रत करते हैं। दस धर्मो का पालन करने से आत्मा की शुद्धि होती है। शुक्रवार को व्रत के चौथे दिन व्रतियों ने प्रात: अभिषेक और शांति धारा पूजन किया। दोपहर में स्वाध्याय अपनी आत्मा का चिंतन, कर्मो की चिंतन किया गया। शाम को भगवान की आरती और धर्म चर्चा करते हुए चौथे दिन का व्रत पूरा किया। इसी के साथ नशिया मंदिर, करनपुरा, फूलन देवी डाडाँ, छपैटी, पंसारी टोला, वरहीपुरा, नया शहर, कटरा,चौगुर्जी, सराय शेख आदि स्थित जिनालयों में पीत वस्त्रधारी पुजारियों द्रारा पूजन कर पर्व मनाया।
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