ब्यूरो संवाददाता
इटावा: हमें इस संसार में दुर्बल नहीं होना है धार्मिक बल के साथ-साथ नैतिकता का बल भी बढ़ता है जिससे हम सदाचार के साथ धर्म मार्ग में आगे बढ़ते हुए जन्म मरण का अभाव करके आत्म बल से मोक्ष पद को प्राप्त करें। जहां असली भक्ति होती है वहां त्याग अवश्य ही होता है बिना त्याग के भक्ति संभव नहीं है। असली बन्दनीय तो अपना आत्म स्वरूप है जिसके आश्रय से हम मोक्ष पद को प्राप्त कर सकते है।
उपरोक्त कथन बाल ब्रह्मचारी पं. सुमत प्रकाश "खनियाधाना" ने श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर जैन बाजार में प्रारंभ हुये शिविर के दौरान स्वाध्याय में कही। उन्होंने आगे कहा धन्य है वे जीव जो भगवान को बंदन करते-करते बंदनीय हो जाते हैं। हमें अपने आत्मबल का सदा ही बहुमान करना चाहिए।
इससे पूर्व तीर्थंकर भगवान का अभिषेक, पूजन आदि भी हुआ। इसके उपरांत पं. चर्चित शास्त्री ने भी प्रवचनों के माध्यम से उपस्थित जैन साधर्मियों को स्वाध्याय एवं वैराग्य का महत्व बताया। इस शिविर में बाल ब्रह्मचारी पं.सुमत प्रकाश "खनियाधाना" का उन्माद देखते ही बन रहा है। जैन साधर्मी उनके स्वाध्याय के लिए लालायित दिख रहे हैं व उनके स्वाध्याय का लाभ पूरी एकाग्रता व हर्षोल्लास से ले रहे हैं।
Comments
Post a Comment