संवाददाता आशीष कुमार,
जसवंतनगर/इटावा : दिगंबर जैन समाज के सबसे बड़े संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज का 77वां अवतरण दिवस नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में धूमधाम से मनाया जाएगा।
अभिषेक शांति धारा के साथ आचार्य श्री की पूजन सहित अनेकों कार्यक्रम इस अवसर पर आयोजित किए गए हैं। शान्ति धारा के इस क्रम में त्याग के आधार पर जिसने कुछ नियम लिया उससे शान्ति धारा करवाई गई जिसमें राजेश कुमार रोहित जैन ने त्याग कर सौभाग्य प्राप्त किया,आचार्य श्री के जीवन से संबंधित प्रश्न पूछे गए जिसका सही जबाब देने पर उपहार प्रदान किये गए सामूहिक रूप से आरती की गई, एक खास बात यह रहीआज ही के दिन जगत पूज्य हस्तिनापुर प्रणेता गणनी प्रमुख ज्ञानमती माता जी का भी अवतरण दिवस भी है।आचार्य विद्यासागर महाराज शरद पूर्णिमा को 77 वर्ष के हो जाएंगे। उनका अवतरण दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है।
आपको संक्षेप में बढ़ते चले की विद्याधर आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। उनके पिता मल्लप्पा व मां श्रीमती ने उनका नाम विद्याधर रखा था। कन्नड़ भाषा में हाईस्कूल तक अध्ययन करने के बाद विद्याधर ने 1967 में आचार्य देशभूषण महाराज से ब्रम्हचर्य व्रत ले लिया। इसके बाद जो कठिन साधना का दौर शुरू हुआ तो विद्याधर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके तपोबल की आभा में हर वस्तु उनके चरणों में समर्पित होती चली गई।
कम उम्र में कठिन साधना
कठिन साधना का मार्ग पार करते हुए विद्याधर ने महज 22 वर्ष की उम्र में 30 जून 1968 को अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि दीक्षा ली। गुरुवर ने उन्हें विद्याधर से मुनि विद्यासागर बनाया। 22 नवंबर 1972 को अजमेर में ही गुरुवार ने आचार्य की उपाधि देकर उन्हें मुनि विद्यासागर से आचार्य विद्यासागर बना दिया। आचार्य पद की उपाधि मिलने के बाद आचार्य विद्यासागर ने देश भर में पदयात्रा की। हमेशा सूती वस्त्र हतकरगा उधोग को बढ़ावा दिया, सैकड़ो गोशालाएं खुलवाई,ओर गुरुदेव आज से नही अपितु कई वर्षों से कहते है इंडिया नही भारत बोलो।।
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