संवाददाता आशीष कुमार
इटावा/जसवन्तनगर : स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगा रही पालिका । यहां तो अभी तक कूड़ा निस्तारण का कोई इंतजाम ही नहीं हुआ है। नगर पालिका की आयु चालीस वर्ष से अधिक हो चुकी है। नगर का कचरा या तो नगर में रह जा रहा है या फिर नगर से बाहर सड़कों पर पसरा है।
नेशनल हाईवे को जोड़ता हुआ कचौरा बाईपास और भोगनीपुर गंग नहर के बीच में सड़क किनारे पड़ी नहर विभाग की खाली जमीन पर कचरा घर बना दिया है और उसमें आग लगा दी जाती है जिससे उठने वाले धुओं के गुब्बार से आम जनता को निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।न पा पर निस्तारण की स्थाई व्यवस्था न होने से इधर-उधर कूड़ा, कचरा बिखरा है। संसाधन के नाम पर नगर पालिका अभी तक केवल वाहन जुटा पाई है। नगर क्षेत्र का क्षेत्रफल लगभग चारों दिशाओं को मिलाकर 10से 12 किमी की लंबाई चौड़ाई वाले इस नगर में गंदगी हर तरफ पसरी है। प्रतिदिन औसतन कई टन कूड़े की निकासी नगर क्षेत्र से होती है। इसे अन्यत्र ले जाने की व्यवस्था नहीं है। नगर पालिका के वाहन नगर के बाहर कूड़े का ढेर लगा रहे हैं। महज तीन से चार किमी की दूरी पर कभी हाइवे, कभी किसी गांव के गडढ़े में कूड़ा गिराए जा रहे हैं। वाहन चालक प्रतिदिन उस जगह की तलाश में रहते हैं जहां कूड़ा गिराने पर विरोध न हो। आबादी तेजी से बढ़ गई। अब नगर के भीतर कूड़ा गिराने की कोई जगह ही नहीं बची। इसलिए हर रोज कूड़ा वाहन नगर के बाहर हाइवे के किनारे,नहर के किनारे, लिंक रोड के किनारे कूड़ा गिराने के लिए रुख करते हैं। जिससे वातावरण दूषित हो रहा है। गंदगी से सड़ांध उठ रही है।कूड़े में आग लगाने से धुँआ उठता है और उस रास्तों से निकलने वाले हजारों लोगों और और वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।कचरा और कूड़ा निस्तारण के जो नियम लागू हैं उन पर नगर पालिका ही खरी नहीं उतर रही है। सार्वजनिक स्थानों और आबादी के बीच कूड़ा कचरा डंप ही नहीं किया जा रहा बल्कि जलाया भी जा रहा है। यही नहीं जहां उठाया जाता है वहां कचरा ले जाने वाले वाहनों पर तिरपाल तक नहीं डाला जाता। राह चलते लोगों को सड़ांध के बीच से होकर आना जाना पड़ता है।नियमानुसार कचरा लेकर जाने वाली गाड़ियों पर कूड़ा ऊपर तिरपाल से ढका होना चाहिए। इस नियम का भी नगर पालिका खुलेआम मखौल उड़ा रही है। यहां खुलेआम ट्रैक्टर से कचरा ढोया जाता है उस पर तिरपाल तक नहीं डाला जाता है।
सार्वजनिक स्थानों व सड़क मार्ग के किनारों पर जलाते कचरा
कचरा शोधन नियमावली के अनुसार आबादी और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा जलाना प्रतिबंधित लेकिन नगर पालिका को ही इसका पालन कराने की जिम्मेदारी भी दे रखी गई है। नगर पालिका के कर्मचारी ही इसका सरेआम उल्लंघन कर रहे हैं। वह झाड़ू कूड़ा सड़कों के बीच जमा करने के बाद उसे उठाने से बचने के लिए वहीं जला देते हैं। इस कूड़े में पालीथिन आदि भी होती है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है।
प्रतिबंध के बाद हो रहा पालीथिन का प्रयोग
प्रतिबंध के बाद भी पालीथिन का प्रयोग खुलेआम किया जा रहा है। नगर क्षेत्र में जिन जगहों पर नगर पालिका का कूड़ा करकट डलवाया जाता है वहां लगे पालीथिन के ढेर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि खुलेआम पालीथिन का प्रयोग किया जा रहा है। पालीथिन के प्रयोग पर प्रभावी नियंत्रण न लगने से पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है। जल निकासी भी अवरुद्ध होती है।प्रतिदिन कई मिट्रिक टन कचरा उत्सर्जित करने वाले इस नगर में सड़कों के किनारे कई जगह कचरों का पहाड़ बनता जा रहा है। हालात यही रहे तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम जनता को भुगतने पड़ेगे।
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