संवाददाता: मनोज कुमार
इटावा/ जसवंतनगर: क्षेत्र के गांव धरवार में लगा गंदगी का अंबार, गलियों में बह रहा नालियों का गंदा पानी, दे रहा संक्रामक बीमारियों को न्यौता।
ब्लाक क्षेत्र के अधिकांश पंचायत में तैनात सफाई कर्मचारियों की लापरवाही के चलते गांवों में सफाई व्यवस्था ठप पड़ी है। नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। अधिकांश सफाईकर्मी बाबू बन गए हैं ऐसे में गंदगी पूरी तरह से बेकाबू होती जा रही है। सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में सफाई कर्मियों की नियुक्ति की गई थी। अधिकारियों की उदासीनता के चलते अब गांवों में सफाई कर्मी नहीं पहुंच रहे हैं। अनेक सफाई कर्मियों को अफसरों ने अपने दफ्तरों से अटैच कर रखा है। कई से तो बाबू गीरी का काम लिया जा रहा है।
विकास खंड जसवंतनगर की ग्राम पंचायत धरवार,नगला तौर,में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। गांव में तैनात सफाई कर्मी अपने कार्यो में रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में गांवों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। वहीं,गांव में दम तोड़ रहे स्वच्छ भारत मिशन अभियान के कारण अब ग्रामीणों को संक्रामक रोगों का खतरा भी सताने लगा है। ऐसा ही सब कुछ यहां देखने को मिला। यहां पिछले कई दिनों से सफाई कर्मी की लापरवाही व अनुपस्थिति रहने पर सफाई न होने से ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ गई है। नालियां चोक होने के कारण गंदा पानी गांव से बाहर नहीं निकल पाता है और गांव की गलियों में ही फैलता रहता है। ऐसे में वहां कीचड़ व जलभराव के कारण जहां नालियों का पानी काला पड़ गया है वहीं दुर्गंध के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी है।
समाजिक कार्यकर्ता प्रमोद कुमार, उदयवीर सिंह, दिलीप सिंह आदि ग्रामीणों ने गांव में स्वच्छता अभियान चलाने व समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। इस मामले में एडीओ पंचायत देवेंद्र पाल सिंह ने बताया है कि रोस्टर ड्यूटी के साथ दूसरे सफाई कर्मी की व्यवस्था कर जल्दी ही गांव की नियमित सफाई व नालियां साफ हो जाएगी। जल निकासी की समस्याएं भी दुरुस्त किया जाएगा।जबकि ग्रामीणों का आरोप है कि रोस्टर व्यवस्था के तहत आने वाले सफाई कर्मी सफ़ाई करते दिखाते हुए सिर्फ अपना फोटो खींच कर अपलोड कर देते हैं और सफ़ाई नहीं करते हैं।यदि प्रत्येक ग्राम पंचायत में उसी पंचायत के रहने वाले सफाई कर्मीयो की नियुक्ति होती तो पंचायतों की ये दशा देखने को नहीं मिलती जो अपनी ऑफ़िस में बाबू बनकर काम नहीं कर रहे होते।
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