Etawah News: सावन का दूसरा सोमवार: कामिका एकादशी: शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, भक्तों ने किया जलाभिषेक
संवाददाता: मनोज कुमार
जसवंतनगर/इटावा: सावन मास के दूसरे सोमवार को कस्बा के शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। कस्बा के कोठी कैस्त स्थित प्राचीन रामेश्वरम शिव मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता सुबह से देखने मिला।
सावन मास के दूसरे सोमवार को शहर के शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने गंगाजल, दूध, दही, शहद व बेलपत्र, धतूरा, से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की महिलाएं, पुरुष और युवा श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में भोलेनाथ की भक्ति में लीन नजर आए। हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।
कस्बा के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। मंदिरों में भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन और मंदिर समितियों की ओर से सुरक्षा व व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए गए। सावन के दूसरे सोमवार पर श्रद्धालुओं की उमड़ी आस्था ने यह साबित कर दिया कि शिव भक्ति का ज्वार अभी पूरे महीने पूरे उत्साह के साथ बहता रहेगा।
आज कामिका एकादशी: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। वर्षभर में कुल 24 एकादशी आती हैं, जो हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ती हैं। इन सभी एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है, लेकिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विशेष माना गया है इस एकादशी को कामिका एकादशी और पवित्रा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरूप की पूजा का विधान है.
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से व्रत करता है और श्रद्धा से भगवान विष्णु का पूजन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. एकादशी व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है जिनके पास अधिक समय नहीं है, वे केवल एक माला मंत्र जाप करके भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. श्रीमद्भागवत गीता का पाठ भी अत्यंत शुभ माना गया है.
एकादशी की रात को जागरण करने का विशेष महत्व है. शास्त्रों में वर्णन है कि जो भक्त श्रीहरि के नाम का जागरण करता है और रातभर दीपक जलाए रखता है, उसे ऐसा पुण्य मिलता है जो सौ कल्पों तक भी नष्ट नहीं होता है।
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