संवाददाता आशीष कुमार इटावा
जसवंतनगर। विश्व प्रसिद्ध प्रथम मैदानी रामलीला के अंतर्गत रविवार की रात दर्शकों ने लंका दहन, वालि वध, रावण-हनुमान संवाद और अक्षय कुमार वध जैसी लोमहर्षक लीलाओं का सजीव मंचन देखा। मैदान में उपस्थित हज़ारों दर्शकों ने जय श्रीराम और जय हनुमान के नारों से आसमान गूंजा दिया। जैसे ही लंका जलती हुई दिखाई दी, दर्शकगण भावविभोर हो उठे और तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
हनुमानजी द्वारा रावण की सोने की लंका में आग लगाए जाने का दृश्य अत्यंत रोमांचक रहा। मंचन में यह दिखाया गया कि किस प्रकार हनुमानजी ने रावण के दरबार में सीता माता की वापसी के लिए आग्रह किया, किन्तु जब रावण ने अपमान करते हुए पूंछ में आग लगवाई, तो हनुमान जी ने समूची लंका को धू-धू कर जला दिया।
प्रमुख लीलाएं:वालि वध एवं सुग्रीव का राज्याभिषेक हनुमान का समुद्र पार कर लंका पहुंचना अशोक वाटिका में माता सीता से भेंट अक्षय कुमार वध रावण-हनुमान संवाद लंका दहन संवाद में दर्शन और नीति का अद्भुत समागम लीला के दौरान जब रावण ने हनुमान जी से पूछा, "कवन तें कीसा..." तो हनुमानजी ने उत्तर दिया कि वे प्रभु श्रीराम के दूत हैं, और रावण को अहंकार त्याग कर धर्म के मार्ग पर चलने की सलाह दी। यह संवाद न केवल दर्शकों को भावुक कर गया, बल्कि नीति और धर्म का गहन संदेश भी दे गया। विशिष्ट अतिथि का सम्मान रामलीला मैदान में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव के सुपुत्र यश श्रीवास्तव ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। उन्होंने भी रामलीला की लीलाओं का आनंद लिया तथा मंचन में भाग लेने वाले कलाकारों और आयोजकों की सराहना की। आयोजन समिति द्वारा यश श्रीवास्तव को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
सफल आयोजन में समिति का योगदान
रामलीला के सफल संचालन में प्रबंधक राजीव गुप्ता ‘बबलू’, उप-प्रबंधक ठा. अजेंद्र सिंह गौर, राजीव माथुर, रतन पांडे, निखिल गुप्ता, प्रभाकर दुबे, प्रशांत यादव, विशाल गुप्ता, तरुण मिश्रा आदि का विशेष योगदान रहा।
पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और अनुशासित वातावरण में संपन्न हुआ, जिसमें पुलिस प्रशासन की भूमिका सराहनीय रही।
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