संवाददाता आशीष कुमार इटावा
जसवंतनगर। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मैदानी रामलीला में सोमवार की रात मेघनाथ के शक्ति प्रहार से लक्ष्मण के मूर्छित होने और हनुमान द्वारा संजीवनी लाने का प्रसंग मंचित किया गया। इस भावुक दृश्य ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
लीला की शुरुआत वानर सेना द्वारा नल-नील के सहयोग से समुद्र पर सेतु निर्माण और लंका की सीमा में प्रवेश से हुई। इसी बीच रावण दरबार में विभीषण ने भाई को समझाने का प्रयास किया कि वह प्रभु श्रीराम से बैर न करे और माता सीता को लौटा दे। किन्तु अहंकारी रावण ने उसकी बात को ठुकरा कर अपमानित किया। इसके बाद विभीषण प्रभु श्रीराम की शरण में पहुंचते हैं।
फिर रामदूत अंगद रावण दरबार में पहुंचे और उसे माता सीता को लौटाने का संदेश दिया। रावण और अंगद के बीच लंबा संवाद हुआ। अंगद ने दरबार में पैर जमाकर चुनौती दी कि यदि कोई उसका पैर हटा देगा तो श्रीराम बिना युद्ध किए लौट जाएंगे। रावण सहित उसके पराक्रमी योद्धा भी असफल रहे। अंत में अंगद का संवाद—“मेरा चरण मत पकड़ो, यदि कल्याण चाहिए तो प्रभु श्रीराम का चरण पकड़ो”—सुनकर पूरा पंडाल जयघोष से गूंज उठा।
उधर रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ को रणभूमि में भेजा। मेघनाथ और लक्ष्मण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इसी दौरान मेघनाथ ने शक्ति का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। मंच पर प्रभु श्रीराम का विलाप देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गईं।
इस बीच हनुमान सुषेण वैद्य को लेकर आए। वैद्य ने बताया कि सूर्योदय से पहले हिमालय स्थित संजीवनी बूटी से ही लक्ष्मण की प्राण रक्षा संभव है। आदेश पाते ही हनुमान उड़ चले और बूटी पहचान न पाने पर पूरा पर्वत ही उठा लाए। सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से लक्ष्मण को जीवनदान दिया। यह दृश्य होते ही राम दल में उल्लास छा गया और दर्शक “जय श्रीराम” और “जय बजरंगबली” के नारों से झूम उठे।
Comments
Post a Comment