संवाददाता आशीष कुमार
इटावा / जसवंतनगर: जसवंतनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला महोत्सव में मारीच वध, सीता हरण की लीला का मंचन किया गया। राामलीला में सीता हरण की लीला को देखने के लिए पूरा लीला ग्राउंड खचाखच भरा हुआ था रामलीला मैदान में जैसे ही भगवान श्रीराम का रथ पहुँचा वैसे ही लीला का मंचन शुरू हो गया। पंचवटी में सीता सोने का मृग देखकर उसको लाने के लिए राम से कहती है। राम सोने के मृग के पीछे जाते है। जैसे ही राम मृग मारीच पर बार छोड़ते है, तो वह राम-राम कहकर पुकारता है। अनहोनी की आशंका से सीता लक्ष्मण से राम की खोज करने के लिए भेजती है। लक्ष्मण सीता की रक्षा हेतु एक लक्ष्मण रेखा खींचते है और सीता की आज्ञा से श्रीराम की खोज में चले जाते है। रावण साधु का वेश बनाकर सीता से भिक्षा मांगता है
माता सीता अंदर से ही रावण को भिक्षा देती है, लेकिन रावण अंदर से भिक्षा लेने की मना कर देता है रावण कहता है।भिक्षा देनी हो तो बाहर आकर दो, घर आये साधु को नीच की भांति साधु का अपमान कर रही हो में त्रिकाल दर्शी हूँ और अभी तुम्हारे पति हिरण के पीछे भाग रहे थे इतना सुन सीता माता मर्यादा की सीमा को लांघ देती है।, वैसे ही रावण उनका हरण कर लेता है। रावण सीता को वायु मार्ग से लंका ले जा रहा होता है, तब जटायु राज रावण को रोकने का प्रयास करते है। लेकिन रावण जटायु के पंख काट देता है।
जब राम और लक्ष्मण लौटते है, तो सीता माता को कुटिया में न पाकर अनहोनी की आशंका व्यक्त करते है। राम, लक्ष्मण सीता की खोज में निकल जाते है। जहॉ जटायु राज श्री राम को बताते है कि रावण ने सीता का हरण कर लिया हैै। जटायु राम की गोद मे प्राण त्याग देते है राम व लक्ष्मण व सीता की खोज में वन-वन भटकते व विलाप करते किष्किधा पर्वत पहुंचे। यहाँ पर कबंध राक्षस से राम का सामना होता है तथा युद्ध के बाद राम कबंध का वध कर देते हैं इसके बाद उनकी मुलाकात किष्किंधा के वानर राज सुग्रीव से होती है। सुग्रीव अपनी व्यथा बताते हैं और राम उन्हें अपना मित्र बना लेते हैं। उसके बाद हनुमान जी से भी वहीं पर पहली मुलाकात होती है। दोनों का मिलाप देख दर्शक भावुक हो गए।
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