संवाददाता: मनीष गुप्ता
मेरठ जिले में प्रमुख स्थलों पर फैला हुआ कूड़ा - करकट लोगों को डेंगू की बिमारी के साथ- साथ बुखार, डायरिया, टाईफाइड, हैजा, मलेरिया जैसी अन्य बीमारियों का शिकार बना रहा है। जिसे शाम तक भी उठाना बहुत दूर की वात हैं तो। रास्ते में पड़ा कूड़ा , मार्गो के पास फैले कूड़े से नरक जैसे हालात बने हैं।ऐसे में यहां पशु भी है जो इस कुडे से कुछ न कुछ खा जाते है जो इनकी जान पर बन जाती है। इस बिमारियों के दौर में शहर में सफाई कराने और मच्छरों से निजात दिलाने के लिए फॉगिंग व एंटी लारवा का छिड़काव तो बहुत ही दूर की बात इन जगहों रोज कूड़ा भी नही उठाया जाता। कोरोना जैसी भयंकर महामारी से राहत मिलने के बाद अब डे़गू की बिमारी अपना असर दिखा रही हैं और अपने पैर बहुत आसानी से फैला रही हैं कितने ही मरीज डेंगू से मिले हैं और मिलत ही जा रहे हैं।
नियंत्रण के लिए कोई फॉगिंग व एंटी लारवा का छिड़काव तक नही करवाया जाता, जबकि प्रदेश में डेंगू के बेकाबू हालात महो रहे हैं। जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। लेकिन नगर- निगम इस व्यवस्था में फेल साबित हो रहा है। शहर में सभी प्रमुख स्थानों, चौराहों और मार्गो पर कूड़े के ढ़ेर लगे रहते हैं। जिनको उठाने के लिए नगर-निगम की गाड़ीयाँ भी नहीं आती। शहर के प्रमुख स्थानों पर सड़क के किनारे लगभग 30 मीटर दूरी तक कूड़े फैला हुआ है। इन मार्गो पर अधिकांश खाली कूड़ा ही कूड़ा पड़ा है। बाजारों में आने वाली जनता इस कुड़े की दुर्गधं से परेशान हैं। लोगों का सांस लेना भी दुशवार हुआ पडा़ है।इन स्थानों पर गंदगी से मच्छरों की भरमार है। सरकारी टॉयलेट की हालत भी गंभीर दिखाई दे रही हैं। वैसे तो स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। जिससे लोंग बीमार हो रहे हैं। लेकिन नगर आयुक्त व नगर स्वास्थ्य अधिकारी शहर की जनता की जान की फिक्र ही नहीं है। इसी मार्ग पर आवारा पशु भी घूम रहते है। यह आवारा पशु राहगीरों के लिए मुसीबत बने है, इसके बाद भी इनके लिए किसी भी तरह की व्यस्थायें नही है।
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