ब्यूरो संवाददाता
इटावा: सूत मिल पर आवास विकास और को ऑपरेटिव बैंक के कब्जा खाली कराने की मांग जोर पकड़ गई है। आवास विकास परिषद गेट पर आधा सैंकड़ा किसान, मजदूर अपनी मांगों को लेकर हिन्द किसान मजदूर पार्टी के बैनर तले अनिश्चिकालीन धरने पर पिछले दस दिन से बैठे है। लेकिन कोई अधिकारी उनसे मिलने उनका हाल जानने अब तक नही पहुंचा। जिससे किसानों की नाराजगी सरकार और प्रशासन के लिए बढ़ गई है। जिससे नाराज किसान और उनके परिवार के सैंकड़ों लोग हाथो में काली पट्टी बांधकर कलेक्ट्रेट पहुंच गये। और डीएम कार्यालय पर पहुंचकर जोरदार नारेबाजी की। और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
बताते चलें सूत मिल में ली गई भूमि का अब तक किसानों को
मुआवजा नही मिला। जिस कारण पीड़ित किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है। उनकी मांग
है पुरानी सूत मिल की भूमि जोकि किसानों से ली गई थी। उस पर गलत तरह से आवास विकास
परिषद का कब्जा है। उसको और यहां हाल ही में निर्मित इटावा कॉपरेटिव बैंक लिमिटेड
को भी हटाया जाये। गौर तलब है इस भूमि के कब्जे, मुआवजे को लेकर भू स्वामी काफी
लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे है। लेकिन अधिकारी, विभाग एक दूसरे के ऊपर
जिम्मेदारी का पल्ला झाड़कर न तो भू स्वामियों को मुआवजा दे रहे है। न ही उनकी भूमि
दे रहे है। सूत मिल अधिकारी भूमि बेचने से इनकार कर रहे है। लेकिन आवास विकास
परिषद भूमि को 100 करोड़ में खरीदने का दावा कर रही
है और भुगतान के तौर पर सूत मिल विभाग को रकम देने की बात किसानों से कह रही है।
दरसअल करीब 40 किसानों की
लगभग 214 बीघा भूमि सूत मिल निर्माण में 1959 पर ली गई थी। जिसमें यह अनुबंध हुआ था जब तक यह मिल संचालित है तब
तक इन किसानों की भूमि सूत मिल की रहेगी लेकिन जब मिल बन्द होगी तो या तो इनकी
भूमि किसानों को वापस दी जाएगी। या फिर इसका इन किसानों को मुआवजा दिया जायेगा।
लेकिन 1998 में यह मिल बन्द होगयी। और
किसानों की भूमि का मुआवजा देने का विभाग ने वादा किया। लेकिन भूमि का
मुआवजा इतना कम था जिसको लेने से किसानों ने इनकार कर दिया। जिसके बाद मामला उच्च
न्यायालय पहुंचा जिसमें सभी भू स्वामियों को निर्धारित मुआवजा देने के आदेश दिए
गये जिसके बाद से अब तक उस भूमि पर आवास विकास के आवास, कॉपरेटिव बैंक का निर्माण हो चुका है। लेकिन
किसानों को उनका हक अब तक नही दिया गया। जिसको लेकर किसानों ने अब लड़ाई तेज कर दी
है।
रामकृष्ण यादव बताते है कि आवास विकास
तहत जो कब्जा लिया गया है जोकि अवैध है। जब इनका कोई स्वामित्व ही नही है तो इसको
कैसे क्रय विक्रय किया जा सकता है। आवास विकास परिषद के अधिकारी कोई भी जवाब नही
देता। हाईकोर्ट ने आवास विकास का अधिकरण निरस्त कर दिया गया। उसके बावजूद हमारी
भूमि पर से अवैध कब्जा हटाया जाये। हम अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ से लेकर आवास विकास के मंत्री तक से मिले लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही।
लेकिन अब हम पूरे जिले में किसान चेतना यात्रा निकालेंगे और किसानों को एक जुट
करके धरना स्थल पर ही दिन 100 किसानों
को बुलाएंगे। और सत्ता शासन के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
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