लेखक : डॉ धर्मेन्द्र कुमार (असिस्टेंट प्रोफेसर)
दरअसल मेरे जहन में यह प्रश्न कई बार कौधने लगता है कि क्या समाजवादी विचारधारा में अंतर और परिवर्तन हो गया है? क्योंकि आज जिस तरह समाजवादी कार्यकर्ता या पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारी धर्म का प्रचार करने में लगे हुए हैं ,यह रीत और नीति तो भारतीय जनता पार्टी की है। समाजवादी लोग तो सदैव इस धर्म के धंधे से दूर ही रहे,और लगता है कि अब यदि कहा जाय कि सामाजवादी कार्यकर्ता, पदाधिकारी भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे को लागू करने में लग गए हैं तो इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
अब के समाजवादी भी भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे को लागू करने में जुट गए हैं
समाजवादी विचारधारा का फासीवादी तथा यथा स्थित वादी विचारधाराओं से सदैव संघर्ष रहा है चाहे वह देश की बात हो या विदेश की । समाजवादियों ने नस्लभेद ,रंगभेद, जाति भेद के नाम पर सदैव संघर्ष जारी रखा । क्योंकि हिंदू धर्म के तहत हमें 6743 जातियों में बांट कर हमारे बीच जातीय विभेद पैदा किया गया और 6743 जातियां शूद्र वर्ण में रख दी गई। और इन्हें जीवन उपयोगी हर अधिकार से वंचित रखा गया ।यह दर्द समाजवादी नेताओं के जेहन में सदैव बना रहा और उन्होंने इसी बात को लेकर सदैव यथा स्थिति वादी शक्तियों से संघर्ष जारी रखा ।
माननीय मुलायम सिंह जी जैसा समाजवादी व्यक्तिव ही अब समाज वादी कारवां को आगे ले जाने में सफल होगा।
बात 1980 की है जब काग्रेस पार्टी के बलराम सिंह के समक्ष माननीय मुलायम सिंह जी ने लोक दल से चुनाव लड़ा और 5 बार हारे हुए बलराम सिंह से मुलायम सिंह जी चुनाव हार गए। उसके बाद पहली मीटिंग बसरेहर के मन भगवती कुंवर इंटर कॉलेज के प्रांगण में हुई जहां माननीय मुलायम सिंह जी ने अपने दर्द को स्पष्ट करते हुए मंच से नसीहत देते हुए कहा ए अहीरो! ए गडरियो! ए काक्षियो !ए चमारो !तेलियो ! तमोलियो,लोहारों, कुम्हारो तथा अन्य उपजातियों का नाम जो भारत में शेड्यूल कास्ट या बैकवर्ड क्लासेस की थी एक सांस में गिना दीं और कहा कि तुम्हारा लड़का b.a. m.a. पास करके घास छीलेगा, हल चलाएगा ,गोबर डालेगा और ब्राह्मण , बनिया ,ठाकुर का लड़का b.a. m.a. पास करने के बाद जज, कलेक्टर, एसपी, डीआईजी, या उच्च अधिकारी बनेगा । क्योंकि सत्ता उन लोगों के हाथ में है ,उन्होंने समाज को नसीहत देते हुए एलानिया कहा सब एक साथ उठो और फासीवादी ताकतों से यथास्थितिवादी शक्तियों से सत्ता छीन लो। यह उद्घोषणा कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर रहा था बल्कि एक समाजवादी सिपाही माननीय मुलायम सिंह मंच से पैगंबरी वाक्य उदघोषित कर रहे थे।
और स्पष्ट किया कि तुम्हारा भविष्य इसी तरह सुरक्षित रह सकता है। इसी बात को लेकर समाज की उन तमाम पिछड़ी जातियों से लोग लामबंद हुए और माननीय मुलायम सिंह जी के नेतृत्व में उन्होंने समाजवादी जनांदोलन खड़ा कर दिया। और कारवां निरंतर गति पकड़ता गया नतीजा यह हुआ कि हर पिछड़ी जाति, अनूसूचित जाति की अन्य उपजातियों में तमाम नेता पैदा करने का श्रेय माननीय मुलायम सिंह जाता है। योग्यता के अधार पर नेता बनाए बिना अमीरी और गरीबी देखे। यह था समाजवाद।
यहां यह बात उल्लेखनीय है की वर्तमान समाजवादी याद करके यह बताएं कि क्या माननीय मुलायम सिंह जी ने कभी अपने यहां भागवत कथा कराई? यह भी बताएं कि क्या उन्होंने कभी अपने माथे पर हिन्दू धार्मिक तिलक लगाया? यह भी बताएं कि क्या माननीय मुलायम सिंह जी जीवन पर्यंत किसी मंदिर में पूजा करते हुए दिखाई दिए? यह भी बताएं कि क्या माननीय मुलायम सिंह जी किसी भागवत में पटका डालते या डलवाते हुए ,सम्मान पाते और देते दिखाई दिए ? यदि नहीं तो यह समझ लो कि यही असली समाजवादी विचारधारा थी क्योंकि माननीय मुलायम सिंह जी का दर्द भी यही था कि फांसी वादी ताकतें कभी भी पिछड़ी जातियों के लोगों को सत्ता में पहुंचने नहीं देंगी और यदि पहुंच भी जाएंगे तो सत्ता में टिके नहीं रहने देंगे। इसलिए उन्होंने सदैव पिछड़े समाज की जातियों का साथ दिया और उन्हें नेता बनाया । उन्हें सम्मान दिलाया । किसान, जवान, मजदूर, महिला, श्रमिकों और बुनकरों को उनके अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने अपने समाजवादी कारवां को अंजाम तक पहुंचाया। यही लोहिया जी चाहते थे, और यही चरण सिंह जी, यही 15-85 के नारे का स्वरुप था, यही मान्यवर कांशीराम का डीएस 4 का मूल मंत्र था इसे अपनाकर दलित और पिछड़े सत्ता में पहुंचे, इसे भूलने पर सत्ता हाथ से निकल गई।
किंतु आज मैं देख रहा हूं की आए दिन समाजवादी किसी भागवत में पूजा करते हुए या दूसरे तरीके के प्रपंच करते कांवड का प्रसार करते हुए दिखाई दे रहे हैं ।जबकि यह समाजवादी विचारधारा का हिस्सा नहीं है। यह तो भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा है। इस एजेंडे पर ही आजकल समाजवादी विचारधारा के लोग काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि समाजवादी विचारधारा को, माननीय मुलायम सिंह जी वाली समाजवादी विचारधारा को जीवंत स्वरूप देने के लिए हमें उसी नारे के साथ उसी विचारधारा के साथ काम करना होगा तब हम अपनी विरासत को कायम रख पाएंगे अन्यथा हमारा हश्र क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में है?
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